अंगारक दोष तब बनता है जब कुंडली में मंगल और राहु या मंगल और केतु एक ही भाव में स्थित होते हैं। मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस, पराक्रम, भूमि, वाहन, रक्त, क्रोध और युद्ध का कारक माना जाता है, जबकि राहु और केतु छाया ग्रह हैं, जो भ्रम, दुर्घटना, मानसिक तनाव और अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए उत्तरदायी माने जाते हैं। जब मंगल इन ग्रहों के साथ संयोग बनाता है, तो जातक के जीवन में संघर्ष, क्रोध, धन की हानि, पारिवारिक अशांति, कोर्ट-कचहरी के मामले, रक्त संबंधी रोग और वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसे ही अंगारक दोष कहा जाता है।
अंगारक दोष के प्रभाव
- क्रोध और चिड़चिड़ापन – व्यक्ति अत्यधिक क्रोधित रहता है और बिना कारण गुस्सा आता है।
- विवाह में बाधा – कुंडली में दोष होने से विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में कलह हो सकता है।
- आर्थिक हानि – व्यापार या नौकरी में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- दुर्घटनाओं की संभावना – जातक को चोट लगने, दुर्घटनाएँ होने या ऑपरेशन जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
- कर्ज़ और मुकदमेबाजी – इस दोष से प्रभावित जातक को बार-बार कर्ज़ लेने की जरूरत पड़ती है और कानूनी मामलों में उलझने की संभावना रहती है।
- मानसिक तनाव – नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है।
अंगारक दोष शांति पूजा के लाभ
✅ क्रोध और नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।
✅ वैवाहिक जीवन में सुधार आता है और विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
✅ आर्थिक समस्याओं और कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
✅ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, विशेषकर रक्तचाप, सिर दर्द और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
✅ करियर और बिजनेस में उन्नति होती है।
निष्कर्ष
यदि आपकी कुंडली में अंगारक दोष है, तो समय रहते अंगारक दोष शांति पूजा करवा लेनी चाहिए। यह पूजा न केवल जीवन की समस्याओं को कम करती है, बल्कि मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार भी लाती है। इसे किसी योग्य और अनुभवी ब्राह्मण से विधिपूर्वक करवाना चाहिए।