नवचंडी यज्ञ / शतचंडी पाठ - Welcome to Ujjain Mangal Puja | Ujjain Kalsarpdosh Puja

नवचंडी यज्ञ और शतचंडी पाठ दोनों ही माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान हैं। ये यज्ञ देवी भगवती के सप्तशती पाठ पर आधारित होते हैं और विशेष रूप से संकट निवारण, मनोकामना पूर्ति, धन-समृद्धि, शत्रु नाश, और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किए जाते हैं।


1. नवचंडी यज्ञ (Nav Chandi Yagya) क्या है?

नवचंडी यज्ञ में दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों का पाठ करके विशेष हवन किया जाता है। इस यज्ञ में नवदुर्गा (माँ के नौ रूपों) की उपासना की जाती है और इनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएँ समाप्त होती हैं।

नवचंडी यज्ञ के लाभ

किसी भी संकट या बाधा का नाश होता है।
धन, ऐश्वर्य, और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
शत्रु, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में सफलता मिलती है।
मानसिक शांति, आत्मबल और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।


2. शतचंडी पाठ (Shat Chandi Path) क्या है?

शतचंडी पाठ नवचंडी यज्ञ से भी अधिक प्रभावशाली और महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसमें दुर्गा सप्तशती का 100 बार पाठ किया जाता है और विशेष हवन किया जाता है। यह अनुष्ठान देवी महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती एवं चतु:षष्टि योगिनी की संपूर्ण कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

शतचंडी पाठ के लाभ

किसी भी बड़े संकट, शत्रु बाधा, कर्ज, बीमारी और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
व्यापार, करियर और धन-संपत्ति में अपार वृद्धि होती है।
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
किसी भी ग्रह दोष, पितृ दोष, वास्तु दोष और नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
राजकीय, कानूनी, और कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।


किसे करनी चाहिए यह पूजा?

जिनकी कुंडली में ग्रहों के अशुभ योग हैं।
जो व्यापार या करियर में बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
जिन्हें जीवन में बार-बार असफलता मिल रही है।
जो गंभीर बीमारियों या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान हैं।
जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और धन की कमी हो रही है।


निष्कर्ष

नवचंडी यज्ञ और शतचंडी पाठ दोनों ही माँ दुर्गा की विशेष कृपा पाने के शक्तिशाली उपाय हैं। यदि जीवन में लगातार बाधाएँ आ रही हैं, शत्रु परेशान कर रहे हैं, या आर्थिक और पारिवारिक समस्याएँ बनी हुई हैं, तो ये अनुष्ठान करवाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पूजा किसी योग्य ब्राह्मण या विद्वान आचार्य से विधिपूर्वक करवानी चाहिए ताकि संपूर्ण लाभ मिल सके। अगर कुंडली में कोई दोष न हो और फिर भी समस्याएं आ रही है तो शिव और शक्ति की और रूख किया जाता है और इस पूजा को करवाया जाता है , इसलिए इस पूजा का बहुत महत्व है |

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