वास्तु दोष क्या होता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी भवन, घर, दुकान या ऑफिस का निर्माण यदि प्राकृतिक दिशाओं और ऊर्जा संतुलन के नियमों के विपरीत होता है, तो वहाँ वास्तु दोष उत्पन्न होता है। यह दोष परिवार के सदस्यों या व्यापार में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे धन हानि, मानसिक तनाव, रोग, असफलता, वैवाहिक समस्याएँ और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
वास्तु दोष के निवारण के लिए वास्तु दोष निवारण पूजा की जाती है, जिससे घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
वास्तु दोष के प्रकार और उनके प्रभाव
- मुख्य द्वार दोष – यदि मुख्य द्वार गलत दिशा में है, तो घर में दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा आती है।
- रसोई दोष – अग्नि देवता (रसोई) का गलत स्थान होने से स्वास्थ्य और आर्थिक समस्याएँ होती हैं।
- शयन कक्ष दोष – यदि बेडरूम गलत दिशा में हो, तो वैवाहिक जीवन में तनाव और नींद संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- शौचालय दोष – गलत दिशा में बने शौचालय से घर में बीमारियाँ बढ़ती हैं और आर्थिक परेशानियाँ होती हैं।
- पूजा स्थान दोष – यदि मंदिर या पूजा स्थल गलत दिशा में हो, तो घर में अशांति रहती है और परिवार के सदस्यों को मानसिक कष्ट होता है।
7. दिशा अनुसार विशेष उपाय
- उत्तर दिशा दोष – कुबेर यंत्र की स्थापना करें और तुलसी का पौधा लगाएँ।
- पूर्व दिशा दोष – सूर्य देव की पूजा करें और रोज़ प्रातः जल अर्पित करें।
- दक्षिण दिशा दोष – हनुमान जी की पूजा करें और श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
- पश्चिम दिशा दोष – माँ दुर्गा की आराधना करें और पीतल का दान करें।
वास्तु दोष पूजा के लाभ
✅ घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है।
✅ नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
✅ परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
✅ धन, करियर और व्यापार में वृद्धि होती है।
✅ विवाहिक और पारिवारिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
निष्कर्ष
यदि आपके घर या कार्यालय में वास्तु दोष के कारण आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ या अन्य बाधाएँ आ रही हैं, तो वास्तु दोष निवारण पूजा करवानी चाहिए। यह पूजा न केवल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है बल्कि सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करती है। इसे किसी योग्य पंडित या ब्राह्मण से करवाना अधिक शुभ होता है।